Friday, December 5, 2025
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    Best powerful mantra Shree Hanuman Chalisa 108

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    || Shree Hanuman Chalisa ||

    ॥दोहा॥

    श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
    बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

    बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
    बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

    ॥चौपाई॥

    जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
    जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥

    राम दूत अतुलित बल धामा ।
    अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥

    महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
    कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥

    कञ्चन बरन बिराज सुबेसा ।
    कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥

    हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
    काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥

    सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
    तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥

    बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
    राम काज करिबे को आतुर ॥७॥

    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
    राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

    सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
    बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥

    भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
    रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥

    लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।
    श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥

    रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
    तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

    सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
    अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥

    सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
    नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥

    जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
    कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥

    तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
    राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

    तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।
    लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥

    जुग सहस्र जोजन पर भानु ।
    लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥

    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
    जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥

    दुर्गम काज जगत के जेते ।
    सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥

    राम दुआरे तुम रखवारे ।
    होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥

    सब सुख लहै तुह्मारी सरना ।
    तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥

    आपन तेज सह्मारो आपै ।
    तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥

    भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
    महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

    नासै रोग हरै सब पीरा ।
    जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥

    सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।
    मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥

    सब पर राम तपस्वी राजा ।
    तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥

    और मनोरथ जो कोई लावै ।
    सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

    चारों जुग परताप तुह्मारा ।
    है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥

    साधु सन्त के तुम रखवारे ।
    असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥

    अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
    अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥

    राम रसायन तुह्मरे पासा ।
    सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

    तुह्मरे भजन राम को पावै ।
    जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥

    अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
    जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥

    और देवता चित्त न धरई ।
    हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥

    सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।
    जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

    जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
    कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥

    जो सत बार पाठ कर कोई ।
    छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥

    जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
    होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥

    तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
    कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥ 

    ॥दोहा॥

    पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।
    राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥

    shree hanuman chalisa is very powerful and spiritual mantra
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